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संसद में गीता

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पुस्तक का नाम : संसद में गीता
ब्रांड/प्रकाशक : नील-नारायण प्रकाशन

पुस्तक विवरण (Book Description) :

"संसद में गीता" एक ऐसी प्रेरणादायक पुस्तक है, जो भारतीय लोकतंत्र के पवित्र मंदिर "संसद" और भारतीय संस्कृति के मूल स्तंभ "भगवद गीता" के बीच एक अनूठा संवाद प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक में गीता के शाश्वत सिद्धांतों को राजनीति, नीति-निर्माण और सार्वजनिक जीवन के साथ जोड़कर एक नई दृष्टि प्रदान की गई है।

पुस्तक में गीता के प्रमुख श्लोकों की व्याख्या आधुनिक राजनीतिक परिदृश्य के संदर्भ में की गई है, जो पाठकों को नैतिकता, कर्तव्य और नेतृत्व की बारीकियों को समझने में मदद करती है। यह पुस्तक न केवल राजनेताओं और नीति-निर्माताओं के लिए प्रासंगिक है, बल्कि उन सभी के लिए उपयोगी है जो अपने जीवन में नेतृत्व, अनुशासन और नैतिक मूल्यों को अपनाना चाहते हैं।

मुख्य विशेषताएं:

  • गीता के शाश्वत सिद्धांतों का राजनीति और शासन से अनूठा जुड़ाव।
  • नैतिक मूल्यों, नेतृत्व कौशल और निर्णय लेने की क्षमता को निखारने के लिए गीता का दृष्टिकोण।
  • राजनेताओं, विद्यार्थियों, शिक्षकों और आम जनता के लिए समान रूप से उपयोगी।
  • सरल भाषा और गूढ़ शास्त्रीय संदर्भों की व्याख्या।

क्यों पढ़ें यह पुस्तक?
अगर आप नेतृत्व के गुण सीखना चाहते हैं, नैतिकता और कर्तव्य के महत्व को समझना चाहते हैं, या गीता के ज्ञान को आधुनिक जीवन के साथ जोड़ना चाहते हैं, तो "संसद में गीता" आपके लिए एक अनमोल खजाना साबित होगी।

पढ़ें और जानें कि कैसे गीता का ज्ञान न केवल आध्यात्मिक प्रगति के लिए, बल्कि सार्वजनिक जीवन में सफलता के लिए भी मार्गदर्शक बन सकता है।

यह पुस्तक उन लोगों के लिए एक आवश्यक पाठ है जो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और नैतिक मूल्यों के बीच संतुलन बनाना चाहते हैं।

प्रकाशक: नील-नारायण प्रकाशन
श्रेणी: आध्यात्मिकता, नेतृत्व, राजनीति, दर्शन
भाषा: हिंदी

इस पुस्तक को पढ़ें और स्वयं को नैतिकता और नेतृत्व के एक नए दृष्टिकोण से जोड़ें!

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